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दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ
बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ
तोड़े बग़ैर संग तराशे न जाएँगे
वो दिल ही क्या जो टूट के पत्थर न हो सके
हर शाम कह जाती है एक कहानी
हर सुबह ले आती है एक नई कहानी,
रास्ते तो बदलते हैं हर दिन लेकिन
मंजिल रह जाती हैं वही पुरानी
यूँ खाली पलकें झुका देने से नींद नही आती
सोते वही लोग है जिनके पास किसी की यादें नही होती