आँखें भी मेरी पलकों से सवाल करती है
हर वक़्त आपको ही तो याद करती है
जब तक देख न लें चेहरा आपका
तब तक हर घडी आपका इंतज़ार करती है
mujh se bichad kar kis rang main hai wo
ye dekhne raqeeb ke ghar jana chahiye
मुझ से बिछड़ कर किस रंग में है वो
ये देखने रक़ीब के घर जाना चाहिए
jis shaam sahejadi faqeero ke ghar main aaye
us shaam waqt ko bhi ghar main taher jana chaiye
जिस शाम सहजादी फ़क़ीरों के घर में आये
उस शाम वक़्त को भी घर में ठहर जाना चाइये