उस अजनबी से तुझे इतना प्यार क्यों है इंकार करने पर भी चाहत का इन्तजार कतु है उसे पाना नही मेरी किश्मत में सायद फिर भी हर मोड़ पे उसी का इन्तजार क्यों है इंतजार शायरी