जब जब घिरे बादल तेरी याद आई
जब झूम के बरसा सावन तेरी याद आई
जब जब मैं भीगा मुझे तेरी याद आई
मेरे भाई तूने मेरी छतरी करूं नहीं लौटाई
आज तुम पे आँसुओं की बरसात होगी
फिर वही कडकती काली रात होगी
एस.एम.एस. न करके तूने जो दिल दुखाया मेरा
जा तेरे बदन में खुजली सारी रात होगी.
अपनी सूरत का कभी तो दीदार दे
तड़प रहा हूँ अब और न इंतज़ार दे
अपनी आवाज नहीं सुनानी तो मत सुना
कम से कम एक मिस काल ही मार दे.